व्यापार में लेन- देन का आधार मुद्रा तथा वस्तुओं का विनिमय था। इसके स्थान पर हुंडी और टीप द्वारा भी व्यापारिक सौदे किये जाते थे। १८ वीं शताब्दी में ऐसी हुंडिया राज्य की जमानत पर भुगतान की जाती थी। मराठा अतिक्रमण काल में तो राज्य की देनदारियों को हुंडियों के द्वारा चुकाया जाता रहा था। कई संपन्न व्यक्ति हुंडी का रुपया राज्य और व्यक्ति की जमीन - जायदाद गिरवी रखकर भुगतान करते थे। इसी प्रकार राज्य के आंतरिक लेन- देन में "टीप' पर रुपया लिया और दिया जाता था। प्रायः स्थानीय सेठ- साहूकार, राज्य की दुकानों व मंदिर के धर्मार्थकारियों के पास रुपया जमा करने तथा निकालने की व्यवस्था प्रचलित थी। जमाकर्ता ऐसी जमा की टीप लिख देता था। टीपों में रकम के प्रयोजन की चर्चा रहती थी। |
सोमवार, 22 जून 2009
हुंडी तथा टीप प्रथा Bill and pointing system in mewar
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भाई शेखरजी,
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास है. कृपया इसे जारी रखें. आशा है आपकी लेखनी से हमें हमारे मेवाड़ के बारे में और भी रोचक और सही जानकारी मिल पाएगी. सादर शुभकामनाएं.
chittor me to ham rahate the. narayan narayan
जवाब देंहटाएंहिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंआज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
जवाब देंहटाएंरचना गौड़ ‘भारती’