मेवाड़ में सरदारों की तीन श्रेणियाँ हैं। प्रथम श्रेणी के सरदार सोला (सोलह) कहलाते थे, क्योंकि महाराणा अमरसिंह (द्वितीय) ने अपने प्रथम श्रेणी के सरदारों की संख्या १६ नियत की थी। इन सरदारों के ठिकाने इस प्रकार हैं:-
बाद में महाराणा अरिसिंह द्वितीय ने भैंसरोड, महाराणा भीमसिंह ने कुरावड़, महाराणा जवानसिंह ने आसींद तथा महाराणा शंभुसिंह ने मेजा के सरदारों को प्रथम श्रेणी में शामिल कर दिया, जिससे उनकी कुल संख्या २० हो गयी थी। बाद में घाणेराव के मारवाड़ में शामिल हो जाने से सकी संख्या १९ रह गयी। सरदारों की संख्या में वृद्धि के बावजूद उनके बैठकों की संख्या १६ ही नियत रखी गई। बाद में बनाये गये प्रथम श्रेणी के सरदार, पहले के नियुक्त १६ सरदारों में से किसी की अनुपस्थिति पर दरबार में उपस्थित होते थे। द्वितीय श्रेणी के सरदारों की संख्या महाराणा अमरसिंह (दूसरे) के काल में ३२ होने की वजह से उन्हें बत्तीस कहा जाता था। लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ा दी गई। कुछ द्वितीय श्रेणी के सरदारों को तीसरी श्रेणी में डाल दिया गया। कुछ नये बनाये गये तथा कुछ का पड़ोसी राज्यों में विलय हो जाने से मेवाड़ के साथ सम्बन्ध नहीं रहा।
मेवाड़ के प्रमुख सरदारों की नामावली |
रविवार, 21 जून 2009
मेवाड़ में सरदारों की श्रेणियाँ (Mewar's rulers in the categories )
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें